ख्याल आता है 

कंही चुपके से बैठे उदास मन में ये ख्याल आता है
तुझे जितना भुलाने की कोशिश करू तू उतना याद आता है
हर पल मुझे तेरे गए हुए नगमे तेरी की हुई बातें याद आती है
जो सुर्ख फूल कभी गवाह थे हमारे रिश्ते के उनकी खुशबू धीरे धीरे फिर आती है
याद कर अक्सर रोता हूँ वो मंज़र पहली मुलाकात के
तू आये या न आये तेरे कदमों की आहट दबे पांव आती है
वो लम्हा तुम पर नज़र पड़ी थी पहली बार
वो जो तुम शरमाई थी खुद से वही तस्वीर दिल में  फिर उतर आती है
काफी मशहूर हुआ करते थे किस्से तुम्हारी खूबसूरती के
अब उन किस्सों की सिर्फ फीकी परछायी नज़र आती है
गंवारा न था आपको उन कबतरों  का दाना चुगकर उड़ जाना
अब कबूतर तो नहीं दिखते पर कबूतरी रोज़ आती है


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